क्या हुआ उन जगहों का जहां पर न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की गई थी?
दोस्तों आप सभी को मालूम होगा कि न्यूक्लियर वेपंस क्या होता है? यह एक बड़े पैमाने के विनाश( Large Scale Destruction) के लिए बनाया गया था लेकिन इसकी डेवलपमेंट का सबसे बड़ा काम सिर्फ पेन और पेपर ने किया था और उसके बाद दूसरा काम लैब में किया गया। फिर सभी देशों के रिसर्चर्स और साइंटिस्ट जिन्होंने इसे बनाया था उन्होंने यह सोचा कि इसका फील्ड टेस्ट (Field Test) भी किया जाए और दुनिया भर की रिमोट लोकेशंस को चुना गया और वहां पर न्यूक्लियर वेपंस के टेस्ट किए गए और 1990 में जाकर सभी देशाें ने यह कहा कि अब हमारी टेस्टिंग कंप्लीट हो गई है अब हमें इसको रोक देना चाहिए जिसमें इंडिया, चाइना और पाकिस्तान भी शामिल थे हालांकि यह तीनों देश काफी देर बाद आए थे इस टेस्टिंग में।लेकिन नॉर्थ कोरिया को एक्सेप्शन (Exception) है वो अभी भी न्यूक्लियर वेपन्स की टेस्टिंग करता है ।
क्या हुआ उन जगहों का जहां पर न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की गई थी और अब कैसे दिखते है वो जगह? दोस्तों एक बात बता दे कि जिन जगहों पर न्यूक्लियर वेपन की टेस्टिंग की गईं थी वहां का लोकल एनवायरमेंट बर्बाद हो गया था क्योंकि इसकी वजह से वहां का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया जिसकी वजह से वहां पर रहना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है और जो वहां पर रहा या फिर कोई एक महीने के लिए वहां रुका भी तो उसे ऐसी बीमारी हो जाएगी कि वो बच नहीं पाएगा ।
दरअसल यूएसए ही इकलौता ऐसा देश है जिन्होंने सबसे ज्यादा न्यूक्लियर वेपन्स की टेस्टिंग की और इसके बाद में ऐसे बन गए जैसे कि उन्होंने कभी कुछ किया ही नहीं था।यूएसए ने अभी तक 1032 न्यूक्लियर वेपंस के टेस्टिंग कर रखी है ,इसके बाद आता है सोवियत यूनियन जिन्होंने 727 न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की है लेकिन यह दोनों देश मिलकर बाकी देशों को यह समझाते है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए बल्कि हमें शांति की राह पर चलना चाहिए लेकिन सबसे ज्यादा न्यूक्लियर वेपन्स भी आपको इन्हीं दोनों देशों के पास में मिलेंगे ।
आपको एक बात और क्लियर कर देते हैं कि जब भी न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग होती है तो ऐसा नहीं है कि वह कन्वेंशनल ग्रेविटी बम( Conventional Gravity Bomb) होंगे जो सिर्फ जमीन से टकराने पर ही फटेंगे ऐसा नही है बल्कि अब तक 528 ऐसे न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की गई है जो कि हवा में ही फोड़ दिए जाते हैं क्योंकि हवा में फूटेंगे तो वह वातावरण में ज्यादा रेडियोएक्टिव मैटेरियल फैला पाएंगे जिसके बाद में बहुत बड़े लेवल का रेडियो एक्टिव नुकसान होगा जिससे ऐसी बीमारी भी हो सकती है कि इंसानों और जानवरों दोनों को बचाना मुश्किल होगा।
यह लोग अभी भी नही रुके जैसे ही न्यूक्लियर वेपंस की जमीनी टेस्ट खत्म हुआ तो इन देशों ने अंडर वॉटर टेस्टिंग भी शुरू कर दी। खैर अब तो यह टेस्टिंग बंद कर दी गई है लेकिन नॉर्थ कोरिया में यह अभी तक चल रहा है।
1 ) सबसे पहले बात करते है जापान के हिरोशिमा और नागासाकी की।
यह कोई टेस्टिंग नहीं थी पता नही यूएसए का अचानक से मूड बना कि वर्ल्ड वॉर 2 को रोकना है इसीलिए 1945 में दुनिया के नक्शे से हिरोशिमा और नागासाकी को गायब कर दिया अपने फैटमैन और लिटिल ब्वॉय बॉम्ब (Fat Man and Little Boy) के जरिए।इस न्यूक्लियर वेपंस की वजह से हिरोशिमा से 70,000 लोग उसी वक्त मारे गए और रेडिएशन की वजह से 2,00,000 लोग मारे गए। उस समय यूएसए ने बहुत ज्यादा बर्बादी कर दी थी यह सिर्फ एक ही स्टेट के बारे में है अभी नागासाकी भी है जहां भी टेस्टिंग हुए थे।
इस टेस्टिंग की वजह से नागासाकी में तत्काल 40,000 लोग मारे गए थे, 60,000 लोग इंजरी की वजह से मर गए थे,और लगभग 2,25,000 लोग रेडिएशन की वजह से मर गए थे। काफी सालों के बाद वहा से रेडिएशन कम हुआ तब जाकर वो जगह लोगो के रहने के लायक बनी।
2 ) निवेदा टेस्ट साइट (Nevada Test Site)
इसके बाद में आता है निवेदा टेस्ट साइट (Nevada Test Site) जहां पर यूएसए ने सबसे ज्यादा न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की थी और जब वह न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग करता था तो एक बहुत ऊंचा मशरूम सा बन जाता था जिसे 160 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। जब न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग होती थी लॉस वेगास (los vegas) के अंदर भी अर्थक्वेक जैसे झटके आते थे।
लेकिन इस टेस्टिंग की वजह से रेडिएशन एयर पार्टिकल में भी फैल जाता था और 1950 में यूटा (Utah) के अंदर कैंसर के केस काफी ज्यादा बढ़ रहे थे और आखिर में जाकर यूएसए ने इस टेस्टिंग को रोका। लेकिन आज भी वहां पर रेडियोएक्टिव कंडेमनेशन (Radioactive contamination) का लेवल रेगुलरली चेक किया जाता है।
3 अमचिटका आइलैंड(Amchitka Island)
यूएसए ने अमचिटका आइलैंड के ऊपर भी काफी ज्यादा टेस्ट किए थे और यहां पर सबसे पहला टेस्ट इन्होंने अपने हाइड्रोजन न्यूक्लियर वेपन का किया था । लेकिन 1971 में तो यूएसए ने अपनी सारी हदें पार कर दी जब उसने हिरोशिमा पर बम गिराया था उससे 385 गुना ज्यादा पावरफुल वेपन की टेस्टिंग की थी जिसके बाद में वहां के लोग , पशु-पक्षी और वातावरण को बहुत नुक्सान हुआ और आज के समय में रेडियोएक्टिव कंडेमनेशन अभी भी है वहां पर है।
4 सोवियत यूनियन
इसके बाद में आता है सोवियत यूनियन उनकी फेवरेट साइट हुआ करती थी कजाखस्तान का सेमिपालातिंस्क((Kazakhstan Semipalatinsk) जहां पर उन्होंने 456 न्यूक्लियर वेपंस की टेस्टिंग की थी हालांकि उन्होंने सिविलियन की बिल्कुल भी परवाह नहीं की चाहे कोई 20 किलोमीटर दूर रहता हो या फिर कोई 50 किलोमीटर दूर रहता हो और इस टेस्टिंग की वजह से 15 लाख लोगों के अंदर न्यूक्लियर रेडिएशन फैला और सिविलियन लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है । इस टेस्टिंग की वजह से इस एरिया में जो इफेक्ट हुआ यह 150 किलोमीटर के रेडियस तक था जिसमें काफी लोग बीमार पड़ गए और काफ़ी लोग मारे गए लेकिन सोवियत यूनियन को इस बात की परवाह नहीं थी। यूएसए ने 1950 से लेकर 1989 तक यह टेस्टिंग पूरी की और आज भी वो जगह बिल्कुल सही नहीं है वहां पर रहना मुश्किल है
5 नॉर्थ कोरिया
नॉर्थ कोरिया आज भी छुप-छुपकर न्यूक्लियर वेपन्स की टेस्टिंग करता रहता है हालांकि सारी दुनिया को उनके बारे में पता है। नॉर्थ कोरिया के फेवरेट साइट है पैंजिया माउंटेन साइट (Pangea Mountain Site) जहां पर वह टेस्टिंग करते है। इस टेस्ट की वजह से 2017 में 6.3 मेग्नीट्यूड का भूकंप भी आया था जिसके झटके 100 किलोमीटर दूर चाइनीस बॉर्डर पर भी देखने को मिले थे ।उसके बाद नोर्थ कोरिया ने भी कह दिया था कि अब हम यहां पर कोई भी टेस्टिंग नहीं करेंगे लेकिन अभी भी सुनने मे आया है कि नॉर्थ कोरिया अभी भी छुप छुपाकर अपनी बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) की टेस्टिंग करता रहता है ।
फिलहाल के लिए यह वो जगह थी जहां पर न्यूक्लियर वेपन्स की टेस्टिंग सबसे ज्यादा हुई है हालाकि और भी जगह है लेकिन हमने आपको खास खास जगह के बारे में बताया है।
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